मंगलवार, जनवरी 13, 2009

गोल्डन गलोब के हिंदुस्तानी सवाल


हालांकि इसमें मुंबइया फिल्मवालों का कोई योगदान नहीं है कि उन्हें बधाई दी जाए लेकिन वजह बनती है कि रहमान हमारे अपने म्यूजिशियन हैं। पहले भारतीय है जिन्हें लगभग ऑस्कर की ही तरह प्रतिष्ठित गोल्डन गलोब अवार्ड मिला है। इसमें रहमान की अद्भुत प्रतिभा का योगदान है। मुझे लगता है इस खूबी के अलावा फिल्म की खूबी यह है कि इसमें गुलजार के गीत हैं। हमारे इरफान और अनिल कपूर समेत कई भारतीय कलाकारों ने अभिनय किया है। कहानी भी मुम्बई की है, जिसको लेकर बॉलीवुड वाले दावा कर रहे हैं कि दुनिया में मुंबई छा गया है। रहमान की उपलब्धि को बड़ा मानते हुए भी मुझे बेहद अफसोस है कि भारत की इस कहानी की पटकथा-लेखक सीमॉन ब्यूफॉय भारतीय नहीं है, जिसे सर्वश्रेष्ठ स्क्रीनप्ले का अवार्ड मिला है। निर्देशक डैनी बॉयल भी भारतीय नहीं है। और सर्वश्रेष्ठ फिल्म बनाने वाले इसके प्रोड्यूसर भी भारतीय नहीं है।
सिनेमा के जरिए एक बेहतरीन मानवीय कहानी कहने के बजाय हमारा गर्व यह है कि हमारा सुपरस्टार अपनी फिल्म के प्रचार के लिए लिए एक खास किस्म की कटिंग करते हुए नाई बनता है। उसकी हिंसा और मारधाड़ वाली एक हॉलीवुड फिल्म की नकल के लिए उसे महान करार दिया जाता है और गजनी नाम की फिल्म भारतीय सिनेमा की अब तक की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म बन जाती है।
क्यों स्लमडॉग मिलियनेयर की परिकल्पना से लेकर उसका विपणन करने वाली टीम भारतीय नहीं है। क्योंकि हमारे फिल्मकारों को दूसरों की बनाए हुए सिनेमा को नकल करने से फुर्सत ही नहीं है। यदि वे ऐसा करते हैं तो किस मुंह से यह उम्मीद करते हैं कि उनकी फिल्में लोग पायरेटेड डीवीडी पर ना देखें। आखिर वे भी तो किसी की असली मेहनत को अपनी कमाई का जरिया बनाते हैं। लिहाजा मैं बहुत खुश हूं कि भारतीय कहानी को, भारतीय संगीत और भारतीय कलाकारों को इस फिल्म से नाम और काम मिला लेकिन असली गर्व का दिन तो तब आएगा जब बॉलीवुड के रहमान किसी बॉलीवुड की फिल्म के लिए ही जाने जाएंगे। और जो सिनेमा दुनिया के सिनेमा में इज्जत पाए वो रब ने बना दी जोड़ी और गजनी से कहीं आगे का होता है। सरहदें तोड़ता हुआ, आपकी ही कहानी पर सरहद पार से आपको आइने में देखने का अवसर देता हुआ कि देखों मुम्बई के नकलची फिल्मकारो, मुंबई की कहानी पर फिल्म ऐसे बनती है।
लेकिन शायर की भी सुनिए-फरिश्ते से बेहतर है इंसां होनापर इसमें लगती है मेहनत ज्यादा

4 टिप्‍पणियां:

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा ने कहा…

राम सर, सुबह राजस्थान पत्रिका में पढा था, उसी समय आपको फोन करने वाली थी, लेकिन कर नहीं पाई, आपका नम्बर अपने मोबाइल का साफ्टवेयर उड़ने की वजह से उड़ चुका है। एज यूजअल मस्त लिखा है सर। आपकी एक बात से तो मैं भी सहमत हूं कि गजनी जैसी वाहियात फिल्म करोड़ों का बिजनेस कैसी कर रही है, ये अपनी समझ से तो बाहर है, एक्चुअली वी नीड सम ओरिजनल आइडियाज।

डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने कहा…

मैं भी अपने इस आलस्य के लिए लज्जित हूं कि टिप्पणी पढते ही, और उससे बेहद प्रभावित होकर भी फोन नहीं कर पाया. हमेशा की तरह बहुत साफ और खुली बातें लिखे हैं आपने. हमारे बॉलीवुड की यही तो सबसे बड़ी सीमा है कि हम सब कुछ करते हैं, बस कहानी की फिक़्र नहीं करते. यह फिल्म, स्लमडोग, कहानी पर टिकी है,हालांकि कहानी कोई बहुत नई भी नहीं है. रहमान का संगीत फिल्म के प्रभाव को कई गुना बढाता है.मैंने तो फिल्म आज ही देखी है.

varsha ने कहा…

gazni ko aapne aur tare zameen par ko oscar ne uski ..... bata di.

Santosh ने कहा…

भाई साहब नमस्कार। इस मूवी में मुंबईवासियों का योगदान कैसे नहीं है। इसमें अनिल कपूर साहब, इरफान और रहमान जैसे महान संगीतकार का येागदान है। यह फिल्म ऑस्कर जरूर जीतेगी। जय हो...