शनिवार, अगस्त 07, 2010

हौले हौले चलती प्रेम कहानी

फिल्‍म समीक्षा-आयशा
अनिल कपूर फिल्म कंपनी की फिल्म आयशा इस हफ्ते रिलीज हुई है। इसमें सोनम कपूर और अभय देओल लीड में हैं। फिल्म प्रेम कहानी है लेकिन इतनी धीमी है कि दो घंटे की फिल्म यूं लगती है, जैसे बहुत लंबी चल रही है।

आयशा एक अमीर घर की लड़की है जो मिडिल क्लास टाइप कुछ नहीं करती। उसे चलते फिरते लोगों की जोडियां बनाने में बड़ी दिलचस्पी है। उसकी सबसे खास दोस्त पिंकी उसके साथ है और बहादुरगढ से आई शेफाली के लिए वे लड़का ढूंढ रही हैं। इस भागदौड़ में शेफाली को वे आधुनिक बनाने पर तुली हैं।

अंतत: आयशा के आदतों से ऊब कर उसकी खास दोस्त उसी आदमी को प्यार करने लगती है जिसका वो अक्सर अपमान करती रहती थी। आयशा अब भी कन्फ्यूज्ड है कि वह किससे प्यार करती हैं। सोनम कपूर, इरा दुबे और आरती पुरी ज्यादातर समय स्क्रीन पर मौजूद रहती हैं और इनके बीच अभय देओल, साइरस साहूकार ओर अरूणोदय सिंह जरूरत के हिसाब से आते हैं।

निर्देशक राजश्री ओझा ने जीन ऑस्टिन के उपन्यास ऎम्मा के कथा सूत्रों से प्रेरित यह फिल्म खड़ी करने की कोशिश की है लेकिन अव्वल तो इस किस्म की पारिवारिक फिल्मों की भारतीय दर्शकों को आदत नहीं है। दूसरे, उन्होंने फिल्म को बहुत अच्छा नहीं बनाया है।

देविका भगत के स्क्रीनप्ले में झोल नहीं है लेकिन उसकी गति ही उसे कमजोर कर देती है। खासकर इंटरवल से पहले तक तो कहानी कुछ आगे बढती नहीं है। इंटरवल के बाद घटनाएं कुछ होती हैं तो एक लंबे क्लाइमैक्स ने सारी गड़बड़ कर दी। फिल्मांकन अच्छा किया गया है। जावेद अख्तर के ठीक ठाक से गीतों पर अमित त्रिवेदी का संगीत और पाश्र्व संगीत ज्यादा अच्छा है।

कुछ रूमानी क्षणों को निर्देशक ने बहुत अच्छे से हैंडल किया है लेकिन ओवरआल इसकी धीमी गति सपाट कथानक ही मारक है। आपको पता है कि रिलेशनशिप किस किस में विकसित हो सकती है लेकिन वह विकसित होने के दौरान के दृश्य गायब हैं।

कॉलेज गोइंग यूथ और किशोर यदि इसे पसंद करें तो बेहतर हैं। हमारी फिल्मों की प्रेम कहानियों को कालखंड भी छोटा सा होता है। लड़का लड़की मिलना, तनाव और प्यार हो जाना। सब कुछ सतही सा। सोनम कपूर अच्छी लगी हैं। उनके पिता की भूमिका में एमके रैना को देखना सुखद है। अभय देओल ने अंडरप्ले किया है लेकिन अपने रोल में वे फिट हैं।

और अब एक स्टुपिड बात। खबर प्रचारित की गई थी कि सोनम कूपर ने पहला ऑन स्क्रीन किस दिया है। क्लाइमैक्स से ठीक पहले अभय देओल सोनम के पलकों के ऊपरी हिस्से के चूमते हैं। फिर अपनी चुटकी में पकड़कर उसकी नाक हिलाता है, होठों के करीब आने से पहले कैमरे की आफसाइड अपना मुंह ले जाते हैं। बार बार लॉरेल का मेकअप करती सोनम के होठों पर कोई छुअन तक नहीं हैं। आप इसे किस मानें तो मान लीजिए। एक युवा दर्शक की टिप्पणी सुनिए, यार, इमरान हाशमी और अभय देओल में कुछ तो फर्क होगा ही।