रविवार, नवंबर 04, 2007

वरना हम भी आदमी थे काम के

हाल ही मैंने एक फिल्म जब वी मेट देखी और उस पर रिव्यू लिखा। फिल्म तो रद्दी ही थी।मुझे अफ़सोस था कि मैंने दो ढाई घंटे खराब किये। लेकिन ताज्जुब हुआ कि दूसरे समीक्षकों को वह पसन्द आयी और दर्शकों को भी। असल में ऍफ़ टी आई से फिल्म एप्रिशियेशन कोर्स के बाद मैं लोकप्रिय सिनेमा का खराब समीक्षक हो गया हूँ।

1 टिप्पणी:

varsha ने कहा…

aadmi to aap aaj bhi kam ke ho.bas thoda sa aadmipana chod do. aaspas dekho log kis kadar kam ke aadmi ban rahen hein .neeyam se haste he. kayde me chamchagiri karte hein.