film review-- THANK YOU
‘थैंक यू’ इस हफ्ते रिलीज अनीस बज्मी निर्देशित और अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म है जो शायद दोनों के लिए लगातार विफलताओं के बीच एक आखिरी चिराग की तरह हिल डुल रही है। आइपीएल की हवा है। दीये में तेल कमजोर है। चिरागों से लौ जा रही है।
‘थैंक यू’ का कथासूत्र अनीस की पुरानी फिल्म ‘नो एंट्री’ का दोहराव है जहां तीन लंपट पति हैं और जिन्हें अपनी पत्नियों से इतर दूसरी लड़कियों के साथ इश्क लड़ाने में आनंद आता है। घर में एक प्यार का ढोंग करता है, एक अतिरिक्त डरने का और तीसरा सामंती किस्म का है जो रात को तीन बजे भी चाय पीने के लिए पत्नी को ही कष्ट देता है। चौथा आदमी जासूस है, जिसकी भूमिका अक्षय कुमार ने की है और वह इन तीनों ही जोड़ों में एक दूसरे के लिए जासूसी करता है। तीनों पत्नियों के लिए यह आदमी उनके मर्दों की जासूसी करता है और तीनों पति उस जासूस को ढूंढऩे उसी आदमी से मदद मांगने पहुंचते हैं जो पहले से ही इनकी जासूसी में लिप्त है। एक गुत्थी सुलझती है और दूसरी उलझती है और अंतत: एक प्रवचननुमा अंत में फिल्म लंपट पतियों के लिए प्रेरक कथा की तरह लगती है कि किस तरह दुनियाभर की सारी पत्नियां आपके लिए त्याग करती हैं और पति किस तरह बाहर की तरफ मुंह मारते हैं।
कहानी में ‘नो एंट्री’ जैसी ताजगी नहीं और संवादों में वैसा विट भी नहीं है। बहुत जगह निर्देशकीय स्वच्छंदता दर्शक पर भारी पड़ती है, जैसा कि अनीस अपनी हर फिल्म में करते हैं लेकिन हास्य की एक ही हांडी में बार बार कामयाबी नहीं उबाली जा सकती। अक्षय कुमार के लिए भी फिल्म कुछ खास नहीं कर पा रही है। बॉबी देओल, सुनील शेट्टी, ठीक हैं। सोनम कपूर बनावटी ज्यादा लगी हैं, रिमी सेन साधारण हैं और सलीना जैटली फिल्म के बहुत कम हिस्से में हैं। पूरी फिल्म में सबसे आकर्षण का केंद्र इरफान हैं, जो सिर्फ अपने संवाद बोलने के ढंग से ही एक साधारण संवाद में भी एक मुस्कान पैदा कर देते हैं। खूबसूरत लोकेशन्स की भी तारीफ हो सकती है लेकिन बिकिनीधारी विदेशी बालाओं की फिल्म में अतिरिक्त उपस्थिति बॉक्स आफिस की कामयाबी की गारंटी नहीं होती। गीत संगीत साधारण हैं और मल्लिका आयटम सॉन्ग में भी औसत लगी है। एक लाइन में, यह फिल्म अनीस और उससे भी ज्यादा अक्षय कुमार के लिए अग्नि परीक्षा है।
‘थैंक यू’ इस हफ्ते रिलीज अनीस बज्मी निर्देशित और अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म है जो शायद दोनों के लिए लगातार विफलताओं के बीच एक आखिरी चिराग की तरह हिल डुल रही है। आइपीएल की हवा है। दीये में तेल कमजोर है। चिरागों से लौ जा रही है।
‘थैंक यू’ का कथासूत्र अनीस की पुरानी फिल्म ‘नो एंट्री’ का दोहराव है जहां तीन लंपट पति हैं और जिन्हें अपनी पत्नियों से इतर दूसरी लड़कियों के साथ इश्क लड़ाने में आनंद आता है। घर में एक प्यार का ढोंग करता है, एक अतिरिक्त डरने का और तीसरा सामंती किस्म का है जो रात को तीन बजे भी चाय पीने के लिए पत्नी को ही कष्ट देता है। चौथा आदमी जासूस है, जिसकी भूमिका अक्षय कुमार ने की है और वह इन तीनों ही जोड़ों में एक दूसरे के लिए जासूसी करता है। तीनों पत्नियों के लिए यह आदमी उनके मर्दों की जासूसी करता है और तीनों पति उस जासूस को ढूंढऩे उसी आदमी से मदद मांगने पहुंचते हैं जो पहले से ही इनकी जासूसी में लिप्त है। एक गुत्थी सुलझती है और दूसरी उलझती है और अंतत: एक प्रवचननुमा अंत में फिल्म लंपट पतियों के लिए प्रेरक कथा की तरह लगती है कि किस तरह दुनियाभर की सारी पत्नियां आपके लिए त्याग करती हैं और पति किस तरह बाहर की तरफ मुंह मारते हैं।
कहानी में ‘नो एंट्री’ जैसी ताजगी नहीं और संवादों में वैसा विट भी नहीं है। बहुत जगह निर्देशकीय स्वच्छंदता दर्शक पर भारी पड़ती है, जैसा कि अनीस अपनी हर फिल्म में करते हैं लेकिन हास्य की एक ही हांडी में बार बार कामयाबी नहीं उबाली जा सकती। अक्षय कुमार के लिए भी फिल्म कुछ खास नहीं कर पा रही है। बॉबी देओल, सुनील शेट्टी, ठीक हैं। सोनम कपूर बनावटी ज्यादा लगी हैं, रिमी सेन साधारण हैं और सलीना जैटली फिल्म के बहुत कम हिस्से में हैं। पूरी फिल्म में सबसे आकर्षण का केंद्र इरफान हैं, जो सिर्फ अपने संवाद बोलने के ढंग से ही एक साधारण संवाद में भी एक मुस्कान पैदा कर देते हैं। खूबसूरत लोकेशन्स की भी तारीफ हो सकती है लेकिन बिकिनीधारी विदेशी बालाओं की फिल्म में अतिरिक्त उपस्थिति बॉक्स आफिस की कामयाबी की गारंटी नहीं होती। गीत संगीत साधारण हैं और मल्लिका आयटम सॉन्ग में भी औसत लगी है। एक लाइन में, यह फिल्म अनीस और उससे भी ज्यादा अक्षय कुमार के लिए अग्नि परीक्षा है।
1 टिप्पणी:
चेताने का आभार।
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