*****
अगर आपने स्टेप अप शृंखला की फिल्में देखी हैं तो आपको समझ में आ जाएगा कि हमारे फिल्मवाले अभी तक उसी इलाके से प्रेरणा ले रहे हैं। हालांकि कहानी का भारतीयकरण करने के लिए यह कहानी मुंबई के एक गरीब उपनगरीय इलाके नालासोपारा के एक हिपहॉप डांस ग्रुप के अमेरिका तक पहुंचने की कहानी है, जिसे सत्य घटना से प्रेरित बताया गया है। निर्देशक रेमो डिसूजा ने इस विलायती परम्परा वाले नृत्य को भारतीय शास्त्रीय परम्परा से जोड़ते हुए फिल्म तैयार की है, जो अपने संपूर्ण प्रभाव में युवा दर्शकों को आकर्षक लग सकती है। यह क्लासिक फिल्म नहीं है, लेकिन हां, अगर आप डांस को पसंद करते हैं तो यह एक बार देखी जा सकती है।
कहानी शुरू होती है इस डांस ग्रुप के एक रियलिटी शो से बाहर
होने से, जहां उन पर एक विदेशी डांस ग्रुप के स्टेप्स चोरी करने का आरोप लगा। ग्रुप के
सारे लोग जहां कहीं भी काम कर रहे थे, वहां वे हीरो से रातों रात
जीरो हो गए। उन्हें चीटर कहा गया। ग्रुप के कुछ लोग टूट गए और पीछे छूट गए। लेकिन
सुरू (वरूण धवन) और विनी (श्रद्धा कपूर) अपने समूह के साथ काम करते
रहे और एक दिन वे लास वेगास में होने वाले एक इंटरनेशनल कांपीटिशन में जाने के सपना
देखने लगे। उस सपने के लिए उन्हें एक गुरु विष्णु (प्रभु देवा) मिलते है, जिसकी अपनी एक कहानी है। वे लास वेगास पहुंचते हैं और फाइनल तक अपनी जगह बनाते
हैं। कहानी में उतनी मौलिकता नहीं है। हम अंडरडॉग्स के ऊपर आने की पहले भी ऐसी फिल्म्ों
देख चुके हैं लेकिन यह डांस फिल्म है। यह इसका गुण भी है और दोष भी। हर जगह डांस और
संगीत ज्यादा हो गया है कि कहानी के सारे सिरे अनसुलझे और अधूरे से रहते हैं। इसके
बावजूद आम दर्शक के लिए इस बात का खास फर्क नहीं पड़ता और वह फिल्म को आनंद ले सकता
है। खासकर फिल्म के निर्देशक रेमो खुद एक कोरियोग्राफर रहे हैं और विष्णु के अपने
परिवार से अलग होने की पीड़ा को वे एक क्रिएटिव आदमी की पीड़ा से जोड़ देते हैं, जिसे समझने में कई परिवार टूटते हैं।
जब उसका बेटा उसे पहचान और सम्मान देता है तो उसे अपने कोरियोग्राफर होने की अहमियत
समझ में आती है, लेकिन इसी तरह के सिरे
जोड़कर फिल्म को और प्रभावी बनाया जाने की गुंजाइश हमेशा बची रहती है। फिलहाल यह एक
दो घंटे लंबी एक मजेदार रियलिटी शो की तैयारी की यात्रा की कहानी है। इस कहानी की युवाओं
में एक अपील होगी। इसमें राष्ट्रप्रेम का छौंक है, छद्म राष्ट्रप्रेम के इस दौर में इसका भी लाभ मिलेगा। एक कोरियोग्राफर का यह
बयान एक जीवन दर्शन भी है लाइफ इज ऑल् अबाउट नेक्स्ट स्टेप।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें