तनु वेडस मनु निर्देशक आनंद राय की केवल एक रोमांटिक कॉमडी नहीं है बल्कि कहीं कहीं वह भावनात्मक रूप से भी आपको छूती है।
लंदन में रहने वाला डॉक्टर मनु (माधवन)भारत आता है और माता पिता के दबाव में शादी के लिए लड़की ढूंढ़ने निकला है, वहीं मुलाकात तनु (कंगना रानौत) से होती है लेकिन तनु किसी से प्यार करती है और अपने बॉयफे्रंड भी जल्दी बदलती है। वह सिगरेट पीती है, वोदका और रम भी खींच लेती है कभी कभार। इधर मनु जब पहली बार तनु को देखता है तो वह उससे प्यार कर बैठता है और जब वह उससे शादी से इनकार कर देती है, एक बार तो बिगड़ती है लेकिन दूसरे सिरे से उसकी मुलाकात तनु से हो जाती है।
वह उसके मेंटर की तरह काम करने लगता है और कहानी प्रेम के त्रिकोणों और चतुष्कोणों से आगे बढ़ते हुए अंजाम तक पहुंचती है। एक तरह से अपनी पूर्ववर्ती कुछ छोटी और कामयाब फिल्मों की तरह इस फिल्म की तारीफ इसलिए भी लाजिमी है कि यहां असली भारतीय मध्यवर्गीय परिवार है। यहां सिर्फ दूल्हा एनआरआई है लेकिन वह हिंदुस्तानी ही चेहरे मोहरे वाला है।
असल में जगह जगह लड़की देखना एक अजीब सा लगता है लेकिन छोटे शहरों में होने वाली नुमाइश परेड पर यह तंज भी दिखता है। इस कहानी की लड़की लोगों के मुताबिक अपने घर वालों के हाथ से निकल चुकी है और लड़की सोचती है सब कुछ सीधा सपाट हो जाए तो क्या मतलब। कुल मिलाकर वह एक कंन्फ्यूज्ड लड़की कहानी है, जो कुछ कुछ जब वी मेट की करीना कपूर से मिलती है। लेकिन आनंद राय ने अपने चरित्र थोड़ा अलग किया है और कंगना उसमें जमती है।
इंटरवल के बाद फिल्म थोड़ी धीमी पड़ती है लेकिन एक अच्छे क्लामेक्स की वजह से मनोरंजक बन पड़ी है। माधवन निस्संदेह फिल्म की जान हैं लेकिन दीपक डोबरियाल की उपस्थिति हर जगह आपके चेहरे पर मुस्कान रखती है। जिम्मी शेरगिल भी हैं और उन्होंने अपने हिस्से को काम अच्छा किया है।
फिल्म के गीत संगीत बेहतर हैं। रंगरेज गीत लिखा बहुत अच्छा गया है तो कदे सडी गली भी आया करो के गीत संगीत बेहद उम्दा है और फिल्म की जान है। पता नहीं फिल्म में गीत अधूरा सा ही क्यों इस्तेमाल हुआ लगता है। बीप की ध्वनि की ध्वनि के साथ कुछ गालियां हैं इसके बावजूद तनु और मनु की शादी में आप एक बार सपरिवार जा सकते हैं। निराश नहीं होंगे।
1 टिप्पणी:
तब तो देखने लायक है।
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