शनिवार, जुलाई 09, 2011

मर्डर 2: गोवा की पृष्ठभूमि में रचा थ्रिलर





मर्डर की कामयाबी से उत्साहित महेश भट्ट और निर्देशक मोहित सूरी मर्डर 2 को पर्दे पर लेकर आए हैं। फिल्म की कहानी पुरानी मर्डर से अलग है। असल में यह एक रिलेशनशिप से ज्यादा एक थ्रिलर फिल्म है जिसमें एक साइको किलर लड़कियां उठाता है और उनकी हत्या कर देता है। अर्जुन (इमरान हाशमी) एक पुराना पुलिसवाला है लेकिन आजकल वह दलाली और दूसरे धंधे कर रहा है। यह उस रहस्य को सुलझाने में लगा है लेकिन सरकार के कहने से नहीं बल्कि एक लोकन दलाल से पैसे लेकर बदले में यह काम कर रहा है।

कहानी गोवा की पृष्ठभूमि में है और फिल्म देखते हुए यूं लगता है जैसे गोवा कोई डरावनी जगह है। अर्जुन की एक दोस्त है प्रिया (जैकलीन फर्नाडीस) जो मॉडल है और कैमरे और कमरे दोनों में निर्बाध रूप से कपड़े खोल रही है, अुर्जन और प्रिया के बीच होने वाले संवाद नकली और बनावटी प्रेम संवाद हैं। एक बानगी देखिए, लड़की पूछती है कि मैं तुम्हारी मोहब्ब्ात हूं या जरूरत? तो लड़का तुक मिलाते हुए संक्षिप्त में कहता है, आदत। ऎसे दृश्यों और संवादों पर युवाओं की तालियां पड़ रही हैं। पर्दे पर गाली और थियेटर में ताली इस दौर की फिल्मों का नया मुहावरा हो गया है और यह कोई अच्छा संकेत नहीं।

लेकिन इस सिनेमाई मुहावरे से इतर मर्डर एक थ्रिलर है और इसकी खूबी यह है कि यह दर्शक को बांधकर रखती है। कहानी में बहुत ज्यादा नयापन नहीं है लेकिन फिल्म के कुछ दृश्य सचमुच डराते हैं और कुछ दृश्य गैर जरूरी से हैं जहां सेक्स को बेचा गया है। शुरूआत के आधे घंटे की फिल्म में पर्दे पर ज्यादा देर इमरान और जैकलीन की उपस्थिति है और चुंबन और बैडरूम दृश्य हैं। लेकिन मर्डर 2 में दर्शनीयता लगातार बनी रहती है और इसकी वजह है कि पटकथा का प्रवाह। इमरान हाशमी को एंग्री यंग मैन की छवि देने की कोशिश की गई है।

खासकर दीवार के अमिताभ से प्रेरित वे दृश्य जिसमें पहले वह चर्च में जाने से इनकार करता है और ईश्वर से अपना छत्तीस का आंकड़ा बतााता है और फिल्म खत्म होने तक अपनी घायल टांग घसीटते हुए वह चर्च तक जाता है। फिल्म में सबसे काबिले तारीफ और सहज काम लगा प्रशांत नारायण का जो एक साइको किलर की भूमिका निभा रहे हैं। गीत और संगीत औसत हैं। उनमें मर्डर जैसी शब्दावली और कर्णप्रियता का अभाव है। सिनेमाटोग्राफी ठीक है। कुल मिलाकर मर्डर 2 थ्रिलर के शौकीन लोगों के लिए है। यह कोई रोमांटिक फिल्म नहीं है, लेकिन रोमांस में जिस्म नुमाइश की जितनी गुंजाइश होती है उससे भी ज्यादा बेचने का काम मोहित सूरी ने किया है और लग रहा है कि यह बिकेगा

1 टिप्पणी:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

इतने अधिक मर्डर हो जायेंगे तो डर कर रहना पड़ेगा।