श्रेयस तलपड़े देश के कई शहरों में पुलिस की वर्दी पहनकर घूमे थे और जयपुर के शॉपिंग मॉल्स में लोगों की खूब तलाशी ली थी कि उनकी पिस्तौल खो गई है। श्रेयस यह समझदारी अपनी फिल्म "आगे से राइट" की कहानी ढूढ़ने में लगाते तो शायद लेखक व निर्देशक को कोई सलाह दे पाते। उनकी सारी तलाशी के बावजूद "आगे से राइट" में हंसी और मनोरंजन गायब रहता है। हां, वह है जरूर लेकिन वह सब टीवी के कॉमेडी सीरियल जैसा ही है।
कहानी दिनकर वाघमारे नाम के एक सब इंस्पेक्टर के इर्द गिर्द है, जो बाघ तो दूर किसी को थप्पड़ नहीं मार सकता। डयूटी च्वाइन करने के साथ ही उसकी गन खो गई है। वह उसे ढूंढ़ रहा है। तलाश में वह ऊपरी तौर पर मुसीबतों में फंसता है लेकिन संयोग से वह हीरो बनकर निकलता है। इतना निरीह पुलिस सब-इंस्पेक्टर हिंदी फिल्मों में अब तक शायद नहीं दिखाया गया। कथा का दूसरा सूत्र एक पाकिस्तानी आतंकवादी के इर्द गिर्द है जिसकी भूमिका में केके मेनन हैं। वह भारत में "जंग-ए-आजादी" के नाम पर बम फोड़ने और तबाही मचाने आया है लेकिन उसकी हवा पर्ल नाम की डांसर ने निकाल दी है। उसका दिल खो गया है। उसे उससे प्यार हो गया है। वह नफरत के बजाय मोहब्बत का मसीहा बनने को चला है। यानी एक गन खोए सब इंस्पेक्टर और दिल खोए आतंकवादी की यह कहानी सिर्फ टुकड़ों में अच्छी है। मुंबई को सबसे बड़ा हथियार सप्लायर और आतंकवादियों का लोकल एजेंट राघव भाई भी एक मामूली सी घटना के बाद भला आदमी बन गया है। सबका आपस में कोई बहुत च्यादा लेना देना नहीं है, सिर्फ इतना सा है कि वह गन अलग अलग मौकों पर इन लोगों के पास से गुजर रही है। फिल्म की कहानी में बीच के हिस्से में इतना लोचा रह गया है कि एक ठीक ठाक क्लाइमेक्स भी लोगों को हंसाने के लिए पात्रों के साथ दर्शकों को रिश्ता जोड़ने में नाकामयाब रहता है, जैसा कि प्रियदर्शन की फिल्मों में अमूमन होता है। निर्देशक इंद्रजीत नटूजी की पहली फिल्म है और निराश करती है। गीत संगीत कामचलाऊ है।
श्रेयस तलपड़े ने ठीक काम किया है। केके मेनन जैसे अच्छे अभिनेता की प्रतिभा जाया की गई है। शेनाज टे्रेजरी वाला को एक्टिंग नहीं आती। देव डी से चमकी माही गिल एक आघ और ऎसे रोल कर लेंगी तो काम खल्लास समझो। विजय मौर्य ने राघव भाई के रोल में अच्छा काम किया है। शिव पंडित बोरिंग है। सीरियल जैसा ही सुख लेना है तो आगे से राइट जाकर हॉल में घुसें। वरना सीघे चलते रहें और अपना एक घंटा तिरेपन मिनट का समय किसी और नेक काम में लगाएं।
2 टिप्पणियां:
bilkul right kaha sir
kya boss,aap abhi bhi aisi filmen sah lete hain
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