गुरुवार, सितंबर 10, 2009

थ्री- लव लायज एंड बिट्रायल

आपने अंग्रेजी फिल्म "द परफेक्ट मर्डर" देखी है क्या कहा, अंग्रेजी नहीं आती हिंदी में डब की हुई डीवीडी और सीडी बाजार में है। हिंदी में अब्बास मुस्तन की "हमराज" देखिए। विक्रम भट्ट के सहयोगी रहे विशाल पंड्या की निर्देशित फिल्म "थ्री: लव, लाय एंड बिट्रायल" एक खराब नकल है और कमजोर सस्पेंस थ्रिलर है। एक नाकाम सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजीव दत्त की अमीर पत्नी अंजनी दत्त का खूबसूरत घर बिकने को आ गया है लेकिन वह अपनी पुश्तैनी सम्पत्ति का हवाला देते हुए उसे बेचने से रोकती है। बच्चों की वायलिन टीचर है और च्यादा कमाई के लिए एक पेइंग गेस्ट रख लिया है। पति पत्नी में बनती नहीं और पेइंग गेस्ट ने यह पहचान लिया है। वह तुरंत घर की मालकिन से जिस्मानी रिश्ते बनाता है। यह सब कहानी में इतना तेजी से होता है, जैसे उस घर की मालकिन इसी बात का इंतजार कर रही है कि कब कोई उनके घर रहने आए और कब उसे प्रेम करने का मौका मिले। पेइंग गेस्ट अब परेशान कर रहा है और पति पत्नी छुटकारा पाना चाहते हैं। लड़की के लिए अब दोनों ही लोग भरोसे के काबिल नहीं है। कुल मिलाकर यहां कहानी सस्पेंस में बदलती है और अंजाम तक पहुंचती है।

कहानी शुरू में तेज चलती है फिर घटनाएं रिपीट सी लगती हैं और फिर सब कुछ जाना पहचाना सा लगता है। संवाद इतने सतही हैँ कि मजा नहीं आता। कहीं कहीं वे नर्सरी राइम्स की तरह लगने लगते हैं। पति के रोल में अक्षय कपूर अपरिपक्व लगते हैं। आशीष चौघरी ओवररिएक्ट कर रहे हैं और नौशीन अपनी पहली ही फिल्म में मोनोटोनस हैं।

फिल्म की एकमात्र खूबी फिल्मांकन है। प्रवीण भट्ट की सिनेमाटोग्राफी की तारीफ कर सकते हैं। यही एक सकारात्मक बात फिल्म में है कि स्कॉटलैंड के खूबसूरत लोकेशन्स दिखाए गए हैं। खासकर जब इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना एक पुल जो मूव करता है। नावों के लिए रास्ता छोड़ता है और फिर पुन: सड़क में तब्दील हो जाता है। फिल्म में सिर्फ स्कॉटलैण्ड अच्छा है, बाकी सब कुछ औसत है।

1 टिप्पणी:

Ashish Khandelwal ने कहा…

प्रणाम भाईसाहब,
बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने फिल्म के बारे में. हैपी ब्लॉगिंग